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Channel: दिल की बात
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"चिरकुटाई की डेमोक्रेसी'

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गुप्ता जी सुबह  सुबह अपनी नयी गाडी दिखाते है ..." सेक्सी" ....मै कहता हूँ ...उनका सत्रह साल का लड़का मुझे हैरानी से देखता है ...दस बारह साल हॉस्टल में रहने के बादहर शानदार चीज़ को सेक्सी कहने का आदत को डीज़ोल्व  होने  में काफी  वक़्तलगता है .........सभ्य  समाज  की अपनीशिष्ट  भाषाये  है ... उन दिनों   ढाबे की तड़का दाल से लेकर ....  अलेन सोली की व्हाईट  शर्ट  सेक्सी होती थी.....
फिर तुम लोग "असल" से कैसे डिफरेनशियेट करतेहो .... उन दिनों लडकिया पूछती ...
हो जाता है..यार .....
सभ्य समाज की कई अजीब सी मुश्किलें भी है ....पुणे के उस पांच सितारा होटलमें मेरे साथ ठहरे डॉ साहब फ्लाईट के  उतरने के बाद से  ही  परेशान है ...उम्र में मुझसे पंद्रह साल बढे वे कमरे में चहलकदमी कर रहे है ....क्याहुआ बॉस  ?मै पूछता हूँ......
यू पी में मेडिकल में सीनियर को बॉस कहा जाता है
इतना बड़ा होटल है  ...ओर एक भी इन्डियन टोइलेट नहीं... है.
आख़िरकार अगली सुबह
   कोंफ्रेस  हौल के ऑडीटोरियम के पीछे एक इन्डियन टोइलेट मिल जाता है  ओर उनकी जीवन में दिलचस्पी पुनः जाग जाती हैवे अक्सर कोंफ्रेस में मेरे रूम मेट रहते है ....इंदोर की उस यात्रा में भीवो मेरे साथ है.डॉ साहब इंदोर के  सियाजी होटल में रिसेप्शन पर इंडियन टोइलेट की बाबतसुझाव पुस्तिका में अपनी राय दर्ज करते है ...............इस देश के उन सभी होटले में जहाँ जहाँ वे ठहरे  सुझाव पुस्तिका पर उनकी इस बाबत राय दर्ज है .....
ऊपर कमरे में पहुंचकर सूटकेस खोलते ही ..मै जान जाता हूँ एक बहुत आवश्यकचीज़ पेक करनी भूल गया हूँ .....अंडरवियर!!
...कांग्रेंस हौल से लौटते  वक़्त ..रास्ते में ले लेगे .वे सुझाव देते है .....
वापसी में वो ड्राइवर को
वेस्ट साइडके आगे रोकने पर मुझे  हैरानी से   कहते है ....यहाँ
डिजायनर  यही मिलते है ..
डिजायनर?

तो आपके ज़माने में भी तो होते थे ....अलग अलग पट्टियों वाले ....मै कंधे उचका  देता हूँ
पंद्रह मिनट  से ज्यादा वक़्त लगने पर वे हैरान होते है ...इसमें इतना क्या सोचना भाई?कोईभी  उठायो ओर चल दो …..
रचनात्मकदृष्टिकोण से देखे तो ये विचारो  में परिवर्तन है.......ओर आमभाषा मेंकहे .....जाने दे...हर चीज़ को कहना जरूरी  तो  नहीं है....
बिल की लाइन में  ठीक हमारे  आगे सफ़ेद शर्ट ओर जींस पहने एक  सेक्सी .कन्या खड़ी है .....कुछ सेकण्ड बीतते  ही  वे  इतनी  जोर  से  डकार लेती  है  के  हम थोडा पीछे हट जाते है ..सोचते है शायद "एक्सम्यूस-  मी कहेगी...पर लगता है किसी सरकारी स्कूल की पढ़ी हुई है .जहाँ ये कहना नहीं सिखाया जाता......


  सी कोंफ्रेंस के कुछओर संभावित खतरे भी है . …........साइड इफेक्ट्स .....ऐसे ही एक  बड़े खतरे हमें लिफ्ट में टकराते है ....हमारे एक सीनियर ...चिरकुटाईके भी वीर होते है ..... ये उन लोगो में से है….जिनको सामने देख आप ऊपर वाले से कहते है ..".ये क्या .खुदा अब भी. बिना चेतावनी के फायर..." .... 
  उनके .मुंह में कुछ  है.. ..पिछले नौ सालो से  उनके मुंह को कभी  खाली नहीं देखा है....उनका मानना है  के गाली एक तरह की अप्रत्यक्ष श्रदांजलि   है ......भरीभीड़ में भी वे आपको श्रदा के सुमन जोर से अर्पित करते है ..... लिफ्ट बड़ी जालिम  शै  है ...हमें उस दिन अहसास होता हैछिपाने की.तमाम कोशिशो के बावजूद हमारे हाथ में किताब पर उनकी निगाह गयी है.
"#**साले अभी भी कविता लिखते हो.....
 गोया कविता  लिखना  कितनी  फिजूल बात  है .हाउ बोरिंग ! हम आत्म ग्लानि सी महसूस करते है
"#** 'इता टाइम कहाँ से निकाल लेते हो "...उनका अगला सवाल है 
जिसका  सीधा  सा  हिंदी  तजुर्मा  ये  है  के  आप  इत्ते  ठलुवे   है  .
"#** देखे कौन सी किताब है "....वे जबरिया किताब हथिया लेते है ....मोहन दास ए ट्रू स्टोरी ऑफ़ ए मेन,हिज़ पीपुल एंड हिज़ एम्पायर -राजमोहन गांधी ......पीछे पलटकर प्राइस टेग देखते है .
". #**गांधी  पे साडे  छह  सौ रुपये  खर्च  करते हो...."
साथ में उनकी पत्नी यूँ हमें देखती है जैसे कृषि दर्शन देख रही  हो ..
.ये पान आप लाये कहाँ से  ..इस एरिया में तो मिलता नहीं .हम पूछना  चाहते है.पर पूछते  नहीं .इससे  वार्तालाप आगे बढ़ने का खतरा है .. .....
१६ सालो..ने उन्हें अब भी नहीं बदला है....चिरकुटई उम्र की पाबन्दी नहीं मानती है ...न लिंग भेद में विश्वास रखती है ....उनकी पत्नी को गौर से देख हम सोचते है के क्या ये कंटाजीयस भी होती है .... हम अब भी  सोच रहे के कौन से सूत्रों से इसके कंटाजीयस होने की तस्दीक की जाए ….यूँ भी इश्क के एक्सपर्ट  हमारे  शुक्लाजी कहते थे ..जब आपकी प्रेमिकाआपकी नजरो से दुनिया को देखने लगे तो  प्यार की थ्योरी  को कन्फर्म मान करनीचे हेंस प्रूव्ड लिखा जा सकता है.....वैसे  हिन्दुस्तान  एक ऐसा देश है  जिसमे ....शादी के बाद  प्यार का प्रतिशत सबसे ज्यादा है ....
मुफ्त की दारु को सूंघने की उनके भीतर विरल शक्ति थी....गोंड गिफ्टेड .. . सूंघते हुए पहुँच जाते  ...फिर इत्ती पीते  .के स्टोक कम पड़ जाता ..रायता फैलाने के कई अवार्ड लगातार उनकी झोली में थे ....कितने वाश बेसिन उनकी गंध से आज भी गंधा रहे हैकई पार्टियों के  वे  निर्विवाद  ' क्यूरेटर' रहे….उनका मानना  था के कोई भी पार्टी  उनकीगैरमौजूदगी में फीकी सी रहती है ...अपनी रचनात्मक भूमिका के लिए वे सदैव आश्वस्तकारी रहे .मुद्राये जुटाकरपार्टी में योगदान को उन्होंने गतिरोध का हिस्सा माना………सामूहिक  अनुभव में  आनंद लेने की इस प्रक्रिया को लेकर उनका मौलिकद्रष्टिकोण अब भी बचा हुआ है .....
किसी ने कहा था के हमें अपने सदगुणों का पता अपने दोस्तों से चलता है ओरदुर्गणों का अपने दुश्मनों से ...वक़्त के मुताबिक  इसे मोडिफाई करने कीजरुरत  है 
"#**कहाँ ठहरे हो?" ....वे पूछते है
हम हालात को तकाजे में तौल कर झूठ का दरवाजे को पकड़ते है ....झूठ  बोलने का सबस बड़ा फायदा ये है की   ये बड़ी स्ट्रेचेबल   चीज़ है ....कितना खीच लो ...बस नुकसान ये  है के  याद  रखना पड़ता है ..... कहाँकितना खींचा था ……
लिफ्ट रुकी है ...
वे नजदीक आते है .......फिर
  धीरे से फुसफुसाते है ..."#**कोई प्रोग्राम  हो तो  बताना ...."
दरवाजे को पकड़ कर वे फिर मुड़े है
...वैसे ये#** राजमोहन गांधी कौन है..कोई रिलेटिव लगते है गांधी के
 उस रात  हमारे साथ वाले डॉ साहब  अगले दिन वहां के रजवाड़ा बाज़ार में कुछ चीज़े देखते है .....ओर मै नब्ज़देखकर रोग बताने वाली दुकान को ...... सोचता हूँ जाकर ट्राई  कर आयूं पर वे डपट देते है….
ख्यालो  की डेमोक्रेसी देश में भले ही न होपर चिरकुटई की कई दुकाने खुली हुई है ......


पुनश्च :१ ५ अगस्त की रात जब देशभक्ति का ओवर फ्लो हो रहा है मै ऐसा क्यों लिख रहा हूँ......कारण ...नयी तकनीक  के भी कुछ साइड इफेक्ट्स है ...  फेस बुक . ..  अपने मेसेज बॉक्स में  मुंह में मसाले भरी उनकी सूरत का दीदार कराती है .दाई ओर लिखा हुआ है." #**  साले फ्रेंडरिक्वेस्ट  भेजी  है ...एक्सेप्ट क्यों नहीं करते ! खुदा ने अपनी गन फिर लोड कर ली है ... डिशकयूं ...........

नोट- चिरकुट इस देश की नेशनल गाली का शिष्ट अनुवाद है

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